मेरी तारीफ़ करता जा रहा है
खिलौनों से मुझे बहला रहा है
ग़मे-दिल तो कभी का भूल बैठे
हमें फिर क्या नया ग़म खा रहा है
शराफ़त पर मेरी ऊँगली उठाकर
मेरा किरदार मारा जा रहा है
रहूँ मैं याद से भी दूर उसकी
सितम ऐसे भी मुझपे ढा रहा है
मेरी ग़ज़लें हैं जे़रे-लब किसी के
मेरे शे’रों को चूमा जा रहा है
न जाने प्यार कब मन्ज़ूर होगा
अभी तक सिर्फ़ सोचा जा रहा है
‘मनु’ बैठा है छत पर आज कागा
कोई मेहमान शायद आ रहा है -
मनु भारद्वाज 'मनु'
खिलौनों से मुझे बहला रहा है
ग़मे-दिल तो कभी का भूल बैठे
हमें फिर क्या नया ग़म खा रहा है
शराफ़त पर मेरी ऊँगली उठाकर
मेरा किरदार मारा जा रहा है
रहूँ मैं याद से भी दूर उसकी
सितम ऐसे भी मुझपे ढा रहा है
मेरी ग़ज़लें हैं जे़रे-लब किसी के
मेरे शे’रों को चूमा जा रहा है
न जाने प्यार कब मन्ज़ूर होगा
अभी तक सिर्फ़ सोचा जा रहा है
‘मनु’ बैठा है छत पर आज कागा
कोई मेहमान शायद आ रहा है -
मनु भारद्वाज 'मनु'
No comments:
Post a Comment