Tuesday, August 9, 2011

Ghazal by Manoj azhar sahab - Thakudwara

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यूँ तो ग़म की घटा ज़रा सी रहती है ,
बूंदा-बांदी . . .अच्छी-ख़ासी रहती है !

...ज़ख्म-ज़ख्म सौ चाँद उभरते रहते हैं ,
अपनी हर शब पूरनमासी रहती है !

तेरे शहर के सब मंज़र तो ताज़ा हैं ,
दिल की हालत बासी-बासी रहती है !

जिस्म का दरिया रूह से पूछा करता है..
''तू क्यूँ इतनी प्यासी-प्यासी रहती है?''

सबको खुश रखना इतना आसान नहीं ,
बड़े दिलों में . . . . .बड़ी उदासी रहती है !
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- मनोज अज़हर.

2 comments:

  1. Darguzar Uss Ki Her Jafa Kardi
    Uss K Haq Main Aaj Phir Dua Kardi
    Aik Lamhai Main Kho Diya Uss Ko
    Jis Ko Pane Main Inteha Kardi…

    SALMAN ANJANA

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