Monday, December 13, 2010

Naqsh lyalpuri

जब दर्द मुहब्बत का मेरे पास नहीं था
मैं कौन हूँ, क्या हूँ, मुझे एहसास नहीं था

टूटा मेरा हर ख़्वाब, हुआ जबसे जुदा वो
इतना तो कभी दिल मेरा बेआस नहीं था

आया जो मेरे पास मेरे होंट भिगोने
वो रेत का दरिया था, मेरी प्यास नहीं था

बैठा हूँ मैं तनहाई को सीने से लगा के
इस हाल में जीना तो मुझे रास नहीं था

कब जान सका दर्द मेरा देखने वाला
चेहरा मेरे हालात का अक्कास नहीं था

क्यों ज़हर बना उसका तबस्सुम मेरे ह़क में
ऐ ‘नक़्श’ वो इक दोस्त था अलमास नहीं था

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