Friday, December 17, 2010

unkii yaad by shakeel badayuni

रूह को तड़पा रही है उन की याद
दर्द बन कर छा रही है उन की याद



इश्क़ से घबरा रही है उन की याद्
रुकते रुकते आ रही है उन की याद



वो हँसे वो ज़ेर-ए-लब कुछ कह उठे
ख़्वाब से दिखला रही है उन की याद



मैं तो ख़ुद्दारी का क़ाइल हूँ मगर
क्या करूँ फिर आ रही है उन की याद



अब ख़्याल-ए-तर्क-ए-रब्त ज़ब्त ही से है
ख़ुद ब ख़ुद शर्मा रही है उन की याद

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